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Sunday 3 July 2011

My First LOVE........

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घर वालों ने आखिर उनके लिये हमारी टक्कर का एक आशिक ढूढ निकाला, जिनको धीरे धीरे चिढ कर हम 'चाटूजी' कहने लगे, शुरू शुरू में हमें बडा अच्छे लगे! 


एक दिन कई कसमें वादे देकर 'चाटूजी' ने उनको हमसे एक रात के लिये उधार मॉग लिया! बीवी की चुभती निगाहों से बचने के लिये हमने दिल पर पत्थर रख कर उनको 'चाटूजी' को सौंप दिया!


एक दिन तो क्या जब महीनों तक वो वापस नहीं आयीं, तब हमको सारी चाल समझ आ गयी, और एक दिन बीवी और घर वालों से हजार झगडे कर के हम उनको बडी बुरी हालत में वापस ले आये!


अरे अरे अरे, आप उनको अपनी 'दूसरी भाभीजान' ना समझें, वो मेरी सबसे प्यारी किताब है, जिसको मैनें कवर चढा कर फिर पहले जैसा सुन्दर बना लिया है, पर अब मैं उसको किसी को भी नहीं दूंगा!!!


आपको भी नहीं...

हूंह...

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